हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,मौलाना सैयद रज़ा हैदर ज़ैदी के जुमा के खुत्बे का सारांश,तक़वा,भाईचारा और सैयदा फातिमा ज़हेरा स.ल. की सीरत का संदेश
मौलाना सैयद रज़ा हैदर ज़ैदी ने जुमा के खुत्बे में नमाज़ियों को तक़वा-ए-इलाही की नसीहत करते हुए कहा,तक़वा हमेशा हमारे सामने रहना चाहिए क्योंकि तक़वा के जरिए ही अमल कबूल होते हैं।
मौलाना ज़ैदी ने अमीरुल मोमिनीन इमाम अली अ.स.के खुत्बा-ए-ग़दीर के मशहूर जुमले अपने भाई के साथ नेकी करो की व्याख्या करते हुए कहा कि रिवायतों की रौशनी में भाई तीन प्रकार के होते हैं:
1. सगा भाई
2. दिनी भाई (धार्मिक भाई)
3. खुद दीन, जो भाई की तरह है
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हमें इन तीनों के साथ नेकी और अच्छे सुलूक पर ध्यान देना चाहिए
मौलाना ने "बिर" (नेकी) शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि अगर यह अल्लाह के लिए इस्तेमाल हो तो इसका मतलब रहमत (दया) होता है, और अगर यह बंदों के लिए इस्तेमाल हो तो इसका मतलब इताअत है।
मौलाना ज़ैदी ने रसूल अल्लाह स.ल.की हदीस का हवाला देते हुए कहा,अगर हम अपने भाई या दोस्त से मोहब्बत करते हैं तो हमें यह ज़ाहिर भी करना चाहिए कि हम उनसे मोहब्बत करते हैं।
उन्होंने एक हदीस का ज़िक्र किया कि भाई का नुकसान इंसानी शरीर में कमी के बराबर है।
इमाम हुसैन (अ.) की वह मशहूर बात जो उन्होंने हज़रत अब्बास (अ.) की शहादत पर कही थी
मेरी कमर टूट गई,का हवाला देते हुए मौलाना ने भाई की अहमियत पर रौशनी डाली।
मौलाना ने आखिर में कहा,जैसे-जैसे वक्त गुज़रता जाएगा अज़ा-ए-फातिमा स.ल. का दायरा बढ़ता जाएगा। लेकिन यह याद रखना चाहिए कि सैयदा फातिमा ज़हरा स.ल. की सीरत को फैलाना और इसे पूरी दुनिया तक पहुंचाना हम सबकी जिम्मेदारी है।
यह खुत्बा इंसानियत को तक़वा, भाईचारे और अहल-ए-बैत (अ.) की मुबारक ज़िंदगी से सबक लेने की दावत देता है।